हमारी देह का लगभग 66℅ हिस्सा पानी होता है। हर क्षण पानी हमारे शरीर से किसी न किसी क्रिया से बाहर निकलता ही रहता है. वह चाहे हमारी पसीने एवं मल मूत्र त्याग की क्रिया हो या फिर सांसों का चलना.
चिंता हो, गुस्सा हो या तनाव हो, दो गूंट पानी पी लीजिये: ऐसा लगता है जैसे रेगिस्तान में बसंत ऋतु आ गई हो.
आप परिश्रम से थके मांदे हों, पानी का एक गिलास सारी थकान दूर कर देता है.
पानी न केवल शरीरिक गतिविधियों के लिये ज़रूरी है बल्कि हमारी हर मानसिक एवं बौद्धिक क्रिया में भी इसका अति महत्त्वपूर्ण योगदान होता है. शरीर की रचना का मूलभूत अंश पानी होने के कारण दिल खोल कर पानी पीना सेहत के लिये बेहद ज़रूरी है.
पानी को प्रचुर मात्रा में पीने का सीधे सीधे मतलब है शरीर के हर अंग को तृप्ति प्रदान करना और बदले में चुस्ति स्फूर्ति पाना और रोगों से दूर रहना.
आपको चमक भरे बाल चाहिए, आभा युक्त त्वचा, पेट का हल्कापन, चुस्ती स्फूर्ति; यह सभी पानी से लिये जा सकते हैं