एसिडिटी – कारण और निवारण

हमारे पेट में बनने वाला एसिड या अम्ल भोजन को पचाने का काम करता है, लेकिन कई बार पचाने के लिए पेट में पर्याप्त भोजन ही नहीं होता या फिर एसिड ही आवश्यक मात्रा से अधिक बन जाता है। ऐसे में एसिडिटी या अम्लता की समस्या हो जाती है। इसे पेट की जलन या हार्टबर्न भी कहा जाता है।

वसायुक्त और मसालेदार भोजन का सेवन आमतौर पर एसिडिटी की प्रमुख वजह है। इस प्रकार का भोजन पचने में जटिल होता है और एसिड पैदा करने वाली कोशिकाओं को आवश्यकता से अधिक एसिड बनाने के लिए उत्तेजित करता है।

एसिडिटी के मुख्य कारण

लगातार बाहर का भोजन करना।

भोजन करना भूल जाना।

अनियमित तरीके से भोजन करना। दो बार के भोजन में अधिक अंतराल रखने से भी एसिडिटी हो सकती है।

मसालेदार खाने का ज्यादा सेवन करना।

विशेषज्ञों का मानना है कि तनाव भी एसिडिटी का एक कारण है।

काम का अत्यधिक दबाव या पारिवारिक तनाव लंबे समय तक बना रहे तो शारीरिक तंत्र प्रतिकूल तरीके से काम करने लगता है और पेट में एसिड की मात्रा आवश्यकता से अधिक बनने लगती है।

एसिडिटी से बचने के लिए क्या करें

पानी

सुबह उठते ही पानी पिएं। रात भर में पेट में बने आवश्यकता से अधिक एसिड और दूसरी गैर जरूरी और हानिकारक चीजों को पानी के जरिए शरीर से बाहर निकाला जा सकता है।

फल

केला, तरबूज, पपीता और खीरा को रोजाना के भोजन में शामिल करें। तरबूज का रस भी एसिडिटी के इलाज में बड़ा कारगर है।

नारियल पानी

यदि एसिडिटी की शिकायत है, तो नारियल पानी पीने से काफी आराम मिलता है।

अदरक

खाने में अदरक का प्रयोग करने से पाचन क्रिया बेहतर होती है और इससे जलन को रोका जा सकता है।

ठंडा दूध

भोजन के अम्लीय प्रभाव को दूध पूरी तरह निष्प्रभावी कर देता है और शरीर को आराम देता है। एसिडिटी के इलाज के तौर पर दूध लेने से पहले डॉक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए, क्योंकि कुछ लोगों में दूध एसिडिटी को बढ़ा भी सकता है।

सब्जियां

बींस, सेम, कद्दू, बंदगोभी और गाजर का सेवन करने से एसिडिटी रोकने में मदद मिलती है।

लौंग

एक लौंग अगर कुछ देर के लिए मुंह में रख ली जाए तो इससे एसिडिटी में राहत मिलती है। लौंग का रस मुंह की लार के साथ मिलकर जब पेट में पहुंचता है, तो इससे काफी आराम मिलता है।

कार्बोहाइड्रेट

कार्बोहाइडे्रट से भरपूर भोजन जैसे चावल एसिडिटी रोकने में मददगार है, क्योंकि ऐसे भोजन की वजह से पेट में एसिड की कम मात्रा बनती है।

समय से भोजन

रात का भोजन सोने से दो से तीन घंटे पहले अवश्य कर लेना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि भोजन पूरी तरह से पच गया है। इससे आपका स्वास्थ्य बेहतर होगा।

व्यायाम

नियमित व्यायाम और ध्यान की क्रियाएं पेट, पाचन तंत्र और तंत्रिका तंत्र का संतुलन बनाए रखती हैं।

किन चीज़ों से बचें

तला भुना, वसायुक्त भोजन, अत्यधिक चॉकलेट और जंक पदार्थों से परहेज करें।

शरीर का वजन नियंत्रण में रखने से एसिडिटी की समस्या कम होती है।

धूम्रपान और किसी भी तरह की मदिरा का सेवन एसिडिटी बढ़ाता है, इसलिए इनसे परहेज करें।

सोडा आधारित शीतल पेय व कैफीन आदि का सेवन न करें। इसकी बजाय हर्बल टी का प्रयोग करना बेहतर है।   घर का बना खाना ही खाएं। जितना हो सके, बाहर के खाने से बचें।

कम मात्रा में थोड़े-थोड़े! समय अंतराल पर खाना खाते रहें।

अचार, मसालेदार चटनी और सिरके का प्रयोग भी न करें।

JAIDEV YOGACHARYA ( Therapist & Yogacharya)

SARAV DHARAM YOG ASHRAM.  MOB. +917837139120

लेखक: Rajeev S

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