इस लेख में उन प्रश्नों का समाधान करने का प्रयास करूंगा जो पिछले कुछ समय में किडनी की पथरी (Urinary Calculi या स्टोन) पर सुधि पाठकों ने जानना चाहे थे.
पिछली कुछ पोस्ट्स में मैंने लिखा था, किडनी, मूत्राशय व मूत्रनली में पथरी का बनना एक सामान्य, साधारण बात है. ऐसा नहीं है कि इसके लिये केवल खान पान को ही दोषी मान लिया जाए या फिर केवल अनुवांशिकता को. यदि ऐसा होता, तो एक ही परिवार के सब सदस्य इससे प्रभावित या अप्रभावित होते.
आयु बढ़ने के साथ साथ हमारे नैसर्गिक शारीरिक संतुलन भी आगे पीछे होने लगते हैं, जिस कारण हम कुछ रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं. इसके अतिरिक्त तेज़ एंटीबायोटिक्स, स्टियराईड्स व दर्द निवारक का अनुचित उपयोग भी हमारी मूलभूत संरचना को बिगाड़ देते हैं; और हमें डायबिटीज, थाइरोइड, पथरी, मोटापा इत्यादि अनेक रोग रिटर्न गिफ्ट में मिल जाते हैं.
पथरी के प्रकार
किडनी की पथरी मुख्यतः चार प्रकार की होती है.
कैल्शियम के स्टोन
ये सब से अधिक होने वाली पथरी है. इस प्रकार की पथरी कैल्शियम के योग जैसे कैल्शियम ऑक्सालेट, कैल्शियम फॉस्फेट से बनती है जिसमें कुछ अन्य घटक भी हो सकते हैं. इसके होने के पीछे रक्त में अधिक कैल्शियम का होना पाया जाता है, जो पैराहाइपर थाइरोइड के कारण हो सकता है. शरीर में सामान्य से अधिक ऑक्सालेट होना भी इसका कारण होता है.
इस प्रकार के स्टोन दवाईयों से ठीक किये जा सकते हैं.
यूरिक एसिड के स्टोन
इस प्रकार के स्टोन यूरिक एसिड से बनते हैं जो हमारे शरीर का एक बेकार उत्पाद होता है. यूरिक एसिड पसीने व मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर निष्काषित होता है. इस प्रकार के स्टोन के पीछे आपका कम मूत्र का निसर्जन एक मुख्य कारण है, जोकि कम पानी पीने के कारण हो सकता है. इसके अतिरिक्त, गाउट, अधिक मांसाहार, अल्कोहल व पेट की सूजन भी इसके कारक होते हैं.
यूरिक एसिड स्टोन भी दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है.
सत्रुवईट (Struvite) स्टोन
इस प्रकार के स्टोन तब पनपते हैं जब किडनी या मूत्रतंत्र किसी इन्फेक्शन से ग्रसित हो. महिलाएं इस प्रकार के स्टोन से अधिक ग्रसित होती हैं क्योकि उन्हें मूत्रतंत्र की इन्फेक्शन अधिक होती है.
इस प्रकार के स्टोन भी दवाओं से निपटाए जा सकते हैं. कई बार ये बहुत बड़े हो जाते हैं जिस कारण इन्हें निकालने के लिये सर्जरी का सहारा लेना पड़ सकता है.
सिस्टिन (Cystine) स्टोन
इस प्रकार की पथरी सब से कम पाई जाती है. ये कुछ हद तक अनुवांशिक विसंगति है तथा उन परिवारों में पाई जाती है जिनके मूत्र में सिस्टीन नामक रसायन की अधिकता हो. इसे Cystinuria नामक विसंगति के नाम से जाना जाता है.
सिस्टीन स्टोन अधिक कठोर हो जाते हैं जिस कारण इनके निवारण के लिये अधिक लम्बे समय तक दवाओं का सेवन करना पड़ता है. अधिक बड़े हो जाने पर ये स्टोन भी अत्यंत पीड़ादायी हो सकते हैं जिससे सर्जरी ही एक विकल्प बचती है.
पथरी के उपरोक्त प्रकार में से पहली दो किस्म की पथरी मुख्य रूप से पाई जाती है जबकि तीसरे प्रकार की पथरी बहुत कम होती है. अंतिम प्रकार की पथरी लाखों में एक मिलती है.
क्यों होती है बार बार पथरी
पथरी के प्रकार जानने के बाद ये स्पष्ट हो जाता है कि इस के बनने के पीछे कैल्शियम, ऑक्सालेट व यूरिक एसिड की अधिकता का एक अहम योगदान होता है. इसलिए यदि एक बार आपकी पथरी दवाओं से निकल गयी है तो इसका ये मतलब नहीं कि दोबारा नहीं होगी.
क्या हैं विकल्प
आप ये जान गए हैं की पथरी बनने के मूल में दूसरे कारक होते हैं. यदि आप एक बार भी स्टोन से ग्रसित हो चुके हों और दवा के उपयोग से आपकी पथरी निकल चुकी हो; तो भी आपको कुछ सावधानियां लेने की आवश्यकता है.
पानी अधिक पियें. अधिक पानी पीने से मूत्र अधिक आएगा व कैल्शियम, ऑक्सालेट या यूरिक एसिड भी इसके साथ बाहर निकलते रहेंगे.
जांच करवा लें कि आपके शरीर में किस की अधिकता है. फिर उस प्रकार के आहारों का सेवन कम कर दें जो ऑक्सालेट, कैल्शियम या यूरिक एसिड बढ़ाते हैं.
पथरी निवारक टॉनिक लें. बीच बीच में, विशेष कर गर्मियों व बरसात के मौसम में, पथरी व मूत्रतंत्र संक्रमण (Calculi व UTI) निवारक टॉनिक एक आधा महीना ले लिया करें.
पथरी निवारक (Lithotriptic) आहार लें. अपनी भोजन शैली में पथरी निवारक (Lithotriptic) आहारों जैसे चौलाई के बीज व साग, कुलफा का साग, कुल्थी की दाल इत्यादि को विशेष स्थान दें. इनका उपयोग सप्ताह में एक बार तो अवश्य करें.
चौलाई को वनस्पति शास्त्र में सिलोसिया (Celosia argenta) कहते हैं. इसकी कई किस्में होती हैं, जिनमें से कुछ के चित्र मैंने यहाँ ऊपर, आपके लिये लगाये हैं. चौलाई के बीजों को अंकुरित कर नाश्ते में लीजिये. कुल्थी की भिगोई दाल को पीस कर कड़ी बनाईये, रोटी में स्टफ करिए; कई विकल्प हैं. याद रहे कुल्थी की दाल बड़ी मुश्किल से गलती है, इस कारण इसे अकेले मत बनाईये, अपितु अन्य दालों के बीच डाल दिया करें.
अंत में, यदि आप पथरी रोग से ग्रसित हैं, तो आप अकेले नहीं. एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 10 लाख से अधिक लोग इस विसंगति को हर वर्ष झेलते हैं. सावधानी रखिये, पथरी होना कोई बड़ी बात नहीं.